ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों में गवाह और एक वीडियो 40 साल बाद टाइटलर को कठघरे तक ले आए हैं। सीबीआई ने इस मामले में पहले तीन बार टाइटलर को क्लीनचिट देते हुए अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन हर बार अदालत द्वारा पुनः जांच के आदेश के बाद चौथा आरोपपत्र दायर किया गया और इसी आरोपपत्र के आधार पर टाइटलर के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया।
चश्मदीद के बयान को अहम माना
इस आरोपपत्र में एक तरफ चश्मदीद गवाहों के बयानों को अहम माना गया, वहीं टाइटलर का एक वीडियो भी महत्वपूर्ण साक्ष्य के तौर पर सामने आया। इस आरोपपत्र के साथ संलग्न वीडियो में टाइटलर एक नवंबर 1984 को लोगों को दंगों के लिए भड़काते नजर आ रहे हैं। हालांकि, यह वीडियो स्पष्ट नहीं है, लेकिन अदालत ने इसे प्रथमदृष्टया टाइटलर की आवाज को साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किया है। टाइटलर के खिलाफ सीबीआई ने पिछले साल मई में आरोपपत्र दायर किया था। इसमें टाइटलर द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण का हवाला दिया गया। यही भाषण 40 साल बाद इस मुकदमे को आगे बढ़ाने का आधार बना है। सीबीआई ने टाइटलर की आवाज के नमूने की फॉरेंसिक जांच कराई थी। इसी नमूने को आरोपपत्र में महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया।
सीबीआई ने कहा, नए सबूत मिले
सीबीआई ने आरोपपत्र में कहा कि टाइटलर पर मुकदमा चलाने के लिए उन्हें नए सबूत मिले हैं। इसमें आवाज का नमूना सबसे महत्वपूर्ण है। सीबीआई को घटना के समय भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाने और दंगे भड़काने वाले भाषण का वीडियो मिला है। इसकी आवाज का मिलान टाइटलर की आवाज से कराया गया है। आवाज का नमूना पिछले साल 11 अप्रैल को लिया गया था।
नानावती आयोग का गठन
जांच के लिए भारत सरकार ने 2000 में न्यायमूर्ति नानावती जांच आयोग का गठन किया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय ने तत्कालीन सांसद टाइटलर समेत अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई को जांच सौंप दी। सीबीआई ने इस बाबत वर्ष 2005 में दंगों के सभी मामलों में कई बड़े नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।