ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। सरकार कुछ खास बीमारियों के लिए जरूरी दवाओं को विदेशों से खरीदने पर विचार कर रही है। इन दवाओं में वजन घटाने, कैंसर, दिल की बीमारियों और डायबिटीज की दवाएं शामिल हैं। इन दवाओं को सेना के मेडिकल विंग और कर्मचारी राज्य बीमा निगम जैसे सरकारी अस्पतालों में भेजा जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह लिस्ट 65 से ज्यादा ऐसी दवाओं की है जो पेटेंट वाली हैं या खास तौर पर बनाई जाती हैं। इनमें टाइप-2 डायबिटीज और मोटापे के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं जैसे सेमाग्लूटाइड और टिरजेपेटाइड शामिल हैं। साथ ही, डायबिटीज वाले मरीजों में हाई कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली एक खास एंटीबॉडी दवा, इवोलकुमैब भी इस लिस्ट में है। भारत में इन दवाओं को बनाने की क्षमता कम है या बिल्कुल नहीं है।
क्या है सरकार की नीति?
सरकार की एक नीति है जिसके तहत 200 करोड़ रुपये तक की चीजें या सेवाएं बाहर से नहीं खरीदी जा सकतीं। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि देश के अपने उद्योगों को बढ़ावा मिले लेकिन, कुछ खास मौकों पर इस नियम में छूट दी जा सकती है। जैसे अगर देश में किसी चीज की सप्लाई कम हो या फिर लोगों की तुरंत जरूरत हो। हाल ही में सरकार ने 128 दवाओं और वैक्सीन को ग्लोबल टेंडर से छूट दी है। यह छूट मार्च 2027 तक या जब तक कोई और आदेश नहीं आता, तब तक लागू रहेगी। यह नई लिस्ट उसी छूट के साथ जोड़ी गई है।
डीओपी ने जारी किया नोटिस
फार्मास्युटिकल विभाग (डीओपी) ने विगत दिवस अपनी वेबसाइट पर एक नोटिस जारी किया। इसमें बताया गया है कि उन्हें डायरेक्टरेट जनरल ऑफ आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल सर्विसेज और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च से ये अनुरोध मिले हैं। वे चाहते हैं कि इन दवाओं को ग्लोबल टेंडर से छूट वाली लिस्ट में शामिल किया जाए या फिर स्थानीय निर्माताओं की पहचान की जरूरत से छूट मिले।
दवा कंपनियों से मांगे गए सुझाव
सरकार ने स्थानीय दवा कंपनियों से कहा है कि अगर वे इन दवाओं को देश में बना सकते हैं तो 5 दिसंबर तक अपने दावे दर्ज कराएं। नोटिस के मुताबिक, कुछ ऐसी दवाएं भी हैं जो अभी बाजार में नहीं आई हैं। फार्मा इंडस्ट्री की तरफ से मिले अनुरोधों के बाद इन दवाओं के बारे में भी सुझाव और आपत्तियां मांगी गई हैं। खरीद एजेंसियां नौ अलग-अलग तरह की दवाओं के लिए ये अनुरोध कर चुकी हैं। इस लिस्ट में कुछ वैक्सीन भी शामिल हैं।
फार्मास्युटिकल विभाग स्वास्थ्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के लोग इस मामले पर कुछ समय से बातचीत कर रहे हैं। जब यह सब तय हो जाएगा तो वित्त मंत्रालय के तहत आने वाला डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर टेंडर के बारे में एक नोटिफिकेशन जारी करेगा। एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि इसका सबसे बड़ा फायदा मरीजों को होगा, क्योंकि उन्हें समय पर जरूरी इलाज मिल पाएगा।































