ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। भारत हर क्षेत्र में रोज तरक्क ी कर रहा है। खासकर विज्ञान के क्षेत्र में। इसी कड़ी में विज्ञान के क्षेत्र से एक और बड़ी खबर आई है। दरअसल, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) के 30 वैज्ञानिकों की एक टीम ने सरकार को ‘एंग्स्ट्रॉम-स्केल’ चिप विकसित करने का प्रपोजल दिया है। ये इस वक्त तैयार हो रहे सबसे छोटे चिप से भी छोटे हैं। इस टीम ने सरकार को ‘2डी मटेरियल’ नामक सेमीकंडक्टर सामग्रियों की एक नई कैटेगरी का इस्तेमाल करके प्रौद्योगिकी विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।
इसके जरिये इस वक्त ग्लोबल प्रोडक्शन में सबसे छोटे चिप के 10वें हिस्से जितना छोटा चिप बनाया जा सकता है। इस तरह सेमीकंडक्टर में भारत का नेतृत्व विकसित हो सकता है। इस समय सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में सिलिकॉन-आधारित प्रौद्योगिकियों का बोलबाला है। इसका नेतृत्व अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान जैसे देश कर रहे हैं।
एक सूत्र ने बताया, ‘आईआईएससी के वैज्ञानिकों के एक टीम ने अप्रैल, 2022 में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) को एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) सौंपी थी, जिसे संशोधित करके अक्टूबर, 2024 में फिर से पेश किया गया। बाद में रिपोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के साथ साझा किया गया। इस परियोजना में एंग्स्ट्रॉम-स्केल चिप विकसित करने की बात कही गई है, जो आज तैयार हो रहे सबसे छोटे चिप्स से भी छोटे हैं।
मेईटी की पुष्टि
डीपीआर में ग्रेफीन और ट्रांजिशन मेटल डाइचेलकोजेनाइड्स (टीएमडी) जैसी बेहद बारीक सामग्रियों का इस्तेमाल करके 2डी सेमीकंडक्टर के विकास का प्रपोजल है। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (मेईटी) के सूत्रों ने पुष्टि की है कि इस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। एक अफसर ने कहा, हम इस परियोजना के बारे में सकारात्मक हैं। मेईटी के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर और सेक्रेटरी ने इस पर बैठकें की हैं। मेईटी ऐसे इलेक्ट्रॉनिक्स अनुप्रयोगों की खोज कर रहा है, जहां इस तकनीक को लागू किया जा सकता है।
91000 करोड़ रुपये का निवेश
भारत इस वक्त सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग के लिए विदेशी कंपनियों पर बहुत ज्यादा डिपेंड है। यह एक ऐसी प्रौद्योगिकी है, जो आर्थिक और नेशनल सिक्योरिटी, दोनों लिहाज से बहुत अहम है। ताइवान के पीएसएमसी के साथ साझेदारी में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स देश की सबसे बड़ी सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट स्थापित कर रही है। इसमें 91,000 करोड़ रुपये का निवेश शामिल है। इस प्रोजेक्ट को भारत सेमीकंडक्टर मिशन के तहत मंजूरी दी गई है और यह सरकार से 50 फीसदी पूंजी सहायता के लिए पात्र है।
पांच सालों में करीब 500 करोड़ रुपये
इसकी तुलना में, आईआईएससी के नेतृत्व वाले प्रस्ताव में अगली पीढ़ी के सेमीकंडक्टर के लिए स्वदेशी टेक्नोलॉजी विकसित करने के लिए पांच सालों में करीब 500 करोड़ रुपये की राशि देने का अनुरोध किया गया है। इस प्रोजेक्ट में प्रारंभिक वित्तपोषण चरण के बाद आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए एक मसौदा भी दिया गया है।