ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। इजराइल की जंग ने एयर डिफेंस की जरूरत पूरी दुनिया को समझा दी है। हमास-हिजबुल्लाह और ईरान के हमलों से इजराइल को आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्टम ने ही बचाया। भारत ने भी संभावित खतरे को देखते हुए अपनी तैयारियों को काफी पहले से ही अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया था। इसका नजारा पाकिस्तान के साथ हुए हालिया संघर्ष में भी दिखाई दिया। किसी भी पाकिस्तानी एरियल अटैक को भारत ने सफल नहीं होने दिया। सेना के आकाश तीर ने कारनामा कर दिखाया। आकाश तीर के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल के साथ इंटीग्रेशन ने पाकिस्तानी एरियल अटैक के खिलाफ तेजी से कार्रवाई संभव की। इसके अलावा भारत एक और सुरक्षा कवच को अंतिम रूप देने में जुटा है, जिसका नाम है रक्षा कवच।
क्या है रक्षा कवच?
भारत के रक्षा कवच को अगर देसी आयरन डोम कहें तो गलत नहीं होगा। डीआरडीओ ने स्वदेशी उपकरणों को इंटीग्रेट कर रक्षा कवच को विकसित किया है। इस रक्षा कवच के दो हिस्से हैं। पहला है सर्विलांस करना और दूसरा है अटैक कर उसे न्यूट्रलाइज करना। सर्विलांस के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम, सर्विलांस ड्रोन और सैटेलाइट हैं। ग्राउंड में लॉन्ग रेंज रडार है जो दुश्मन के किसी भी एरियल खतरे को ट्रैक करता है। उसे एंगेज करने के लिए हार्ड किल, सॉफ्ट किल, सर्फेस टू एयर मिसाइल, आर्टिलरी गन व लेजर बीम तकनीक मौजूद है।
कैसे करेगा रक्षा कवच काम?
एरियल अटैक को पहचानना यानी दुश्मन कितनी दूर है, यह जानना सबसे जरूरी है। सर्विलांस का सारा डेटा कंट्रोल सेंटर में जाएगा। वहां जानकारी प्रोसेस करने के बाद अटैक को न्यूट्रलाइज करना पड़ता है। हाई स्पीड ड्रोन अटैक से निपटने के लिए सॉफ्ट किल, हार्ड किल होता है। सॉफ्ट किल में हाई पावर माइक्रोवेव उस दिशा में छोड़ते हैं जिस दिशा से अटैक आ रहा है। इससे सिस्टम का इलेक्ट्रॉनिक कमजोर हो जाता है और स्पीड धीमी हो जाती है। उसके बाद भी अगर वह अटैक करने के लिए आता है तो क्विक रिस्पॉन्स सर्फेस टू एयर मिसाइल सिस्टम से उसे एंगेज किया जाएगा। इसी तरह से अटैग्स (एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम) से भी अटैक को एंगेज किया जा सकता है। इसके अलावा लेजर बीम तकनीक से टारगेट को नष्ट किया जा सकता है। सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक हमलों को भी तभी नष्ट किया जा सकता है जब उसका डिटेक्शन पहले ही हो जाए। पहले ही डिटेक्शन हो गया तो एयर डिफेंस मिसाइल को टाइम मिल जाएगा उसे एंगेज करने के लिए। फिलहाल सभी सिस्टम तैयार हो चुके हैं, सॉफ्टवेयर पर काम चल रहा है। जल्द ही डीआरडीओ इसे शोकेस करेगा।
अमेरिका को भी एरियल अटैक का डर
एरियल अटैक का खतरा अब अमेरिका को भी सता रहा है। ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस को अपने पहले संबोधन में गोल्डन डोम शील्ड का ऐलान किया था। ट्रंप ने कहा था कि इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम आयरन डोम की तर्ज पर ही उनके पास भी एयर डिफेंस गोल्डन डोम होना चाहिए। अब उस गोल्डन डोम का एलान भी कर दिया है। ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद गोल्डन डोम दुनिया के किसी भी कोने से या अंतरिक्ष से दागी गई मिसाइलों को रोकने में सक्षम होगा। यह एक नेक्स्ट जेनरेशन एयर डिफेंस सिस्टम प्रोग्राम होगा। इसमें लॉन्ग रेंज रडार और सैटेलाइट अमेरिका की तरफ आने वाले प्रोजेक्टाइल को पहचानेंगे, उसकी ट्रेजेक्टरी को ट्रैक करेंगे और फिर इंटरसेप्टर मिसाइल के जरिए उसे मिड एयर में ही एंगेज कर देंगे।