ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हॉस्पिटल में एडमिट होने के बाद अक्सर ब्लड की जरूरत पड़ती है। ज्यादातर खतरनाक बीमारियों में मरीजों को ब्लड की जरूरत पड़ती है। यही कारण है कि आजकल ब्लड बैंक का कल्चर बढ़ता जा रहा है। आजकल ब्लड डोनेशन का कल्चर भी बढ़ रहा है। इसके लिए इन दिनों तमाम तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं। इस क्षेत्र में साइंटिस्टों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए एक नया ब्लड ग्रुप खोज निकाला है। इससे इलाज में काफी मदद मिलेगी।
एंटीजन से जुड़ा ब्लड ग्रुप
नए ब्लड ग्रुप का नाम एमएएल दिया गया है। इस रिसर्च में खुलासा किया गया है कि ब्लड ग्रुप से जुड़ा 50 साल का रहस्य सुलझ गया है। यह ब्लड ग्रुप एंटीजन (एएनडब्ल्यूई) से जुड़ा हुआ था। एएनडब्ल्यूई को 1972 में खोजा गया था। इसके बनने की वजह का अबतक पता नहीं चल सका है।
दुर्लभ मरीजों के लिए गुड न्यूज
दुर्लभ मरीजों को इससे काफी ज्यादा फायदा होने वाला है। इससे एएनडब्ल्यूआई एंटीजन होता है। अब साइंटिस्टों ने कहा कि एक जेनेटिक टेस्ट बनाया है। इससे मरीजों की पहचान करके, इसके जरिए बेहतर इलाज और खून चढ़ाने में आसानी होगी।
पूरी दुनिया को होगा फायदा
एनएचएस ब्लड ट्रांसप्लांट (एनएचएसबीटी) के जरिए हर साल दुनियाभर के करीब 400 मरीजों को मदद मिलती है। एनएचएसबीटी कई देशों को टेस्ट किट मुहैया कराया जाएगा।
खून का मिलान अब और सुरक्षित
इस रिसर्च के कारण ब्लड चढ़ाने से जुड़ी परेशानियों को कम किया जा सकता है। रेड ब्लड सेल्स में पाए जाने वाले प्रोटीन ही ब्लड ग्रुप डिसाइड करते हैं। इन प्रोटीन की कमी से खून में कई तरह की गंभीर दिक्क तें होती हैं।
खोज का महत्व
ब्लड का नया ग्रुप जानने वाले साइंटिस्टों का कहना है कि इस दुर्लभ ब्लड वाले मरीजों और खून देने वाले को ढ़ूंढ़ना आसान हो गया है।