ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। हर साल बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स बीटेक की पढ़ाई करते हैं। उनमें से कुछ भारत में ही रहकर नौकरी करते हैं, जबकि कुछ विदेश चले जाते हैं। 15 सितंबर को नेशनल इंजीनियर्स डे मनाया गया। इस खास मौके पर बीटेक की कुछ ऐसी ब्रांचेस के बारे में बताना चाहते हैं जो आपको ड्रीम जॉब दिलवा सकती हैं।
बता दें कि अच्छे संस्थान से इंजीनियरिंग यानी बीटेक की डिग्री हासिल करने पर लाखों की सैलरी वाली नौकरी आसानी से मिल सकती है। कुछ छात्र बीटेक के बाद एमटेक करते हैं, कुछ एमबीए और कुछ सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट जाते हैं। हर साल बड़ी संख्या में इंजीनियर्स यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा पास करते हैं। बीटेक कई स्ट्रीम्स में होती है लेकिन हर स्ट्रीम आपको विदेश का टिकट नहीं दिलवा सकती। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, विप्रो जैसी कई कंपनियां ग्लोबल प्लेसमेंट के लिए जानी जाती हैं। एमएसएम यूनीफाई के सीईओ राघवा गोपाल से जानिए बीटेक की टॉप ब्रांच, जिनसे विदेश में नौकरी मिल सकती है-
1. कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
जरूरी स्किल्स: एआई, मशीन लर्निंग, साइबरसिक्योरिटी और डेटा साइंस में स्पेशलाइजेशन करने से ग्लोबल जॉब मिलना आसान हो जाता है।
कहां मिलेगी नौकरी
यूएसए, कनाडा, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों को टेक इनोवेशन का मेजर हब माना जाता है। कंप्यूटर साइंस इंजीनियर यहां आसानी से नौकरी ढूंढ़ सकते हैं।
2. मेकैनिकल इंजीनियरिंग
कहां है जरूरत: ऑटोमोटिव, एयरोस्पेस, मैन्युफैक्चरिंग और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में मेकैनिकल इंजीनियर्स की काफी डिमांड है।
जॉब मार्केट : मेकैनिकल इंजीनियर जर्मनी, जापान और साउथ कोरिया जैसे देशों में आसानी से अच्छे पैकेज वाली नौकरी ढूंढ़ सकते हैं। जरूरी स्किल्स: 3डी प्रिंटिंग, नैनोटेक्नोलॉजी और रोबोटिक्स जैसे क्षेत्रों में स्पेशलाइजेशन करके विदेश में बेहतरीन पैकेज वाली नौकरी हासिल कर सकते हैं।
3. सिविल इंजीनियरिंग
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट : यूएई, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का इंफ्रास्ट्रक्चर लगातार डेवलप हो रहा है. ऐसे में यहां सिविल इंजीनियर्स की काफी डिमांड है।
ग्रीन इंजीनियरिंग: यूरोप और नॉर्थ अमेरिका इको-कॉन्शियस क्षेत्र हैं। यहां नौकरी करने के लिए सस्टेनेबल एंड एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन करना अच्छा ऑप्शन है। ग्लोबल प्रोजेक्ट: सिविल इंजीनियर अक्सर इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं। इससे उन्हें कई तरह के एनवायरमेंट और कटिंग एज टेक्नोलॉजी का एक्सपोजर मिलता है।
4 इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग
विदेश में खूब हैं अवसर: यूएसए, जर्मनी और मिडिल ईस्ट जैसे देशों में पावर जनरेशन, टेलीकम्युनिकेशंस और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि क्षेत्रों में इलेक्टि्रकल इंजीनियर्स की काफी डिमांड है। एनर्जी सेक्टर: रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजी में स्पेशलाइजेशन करके सस्टेनेबिलिटी पर फोकस करने वाले देशों में आसानी से नौकरी मिल सकती है।
ग्लोबल इनोवेशन : जापान और साउथ कोरिया जैसे देश कटिंग एज कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इंडस्टि्रयल ऑटोमेशन जैसे क्षेत्रों में जॉब ऑफर करते हैं।
5. केमिकल इंजीनियरिंग
विदेश में अवसर : फार्मास्यूटिकल्स, पेट्रोकेमिकल्स और फूड प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में केमिकल इंजीनियर्स की काफी डिमांड है। इन्हें सऊदी अरब, यूएसए और सिंगापुर में नौकरी मिल सकती है।
सस्टेनेबिलिटी पर फोकस : ग्रीन टेक्नोलॉजी या एनवायर्मेंटल इंजीनियरिंग में स्पेशलाइजेशन करके ग्लोबल सस्टेनेबिलिटी गोल्स की डिमांड पर फोकस कर सकते हैं।
रिसर्च एंड डेवलपमेंट: स्विट्जरलैंड और जर्मनी जैसे देश केमिकल इंजीनियर्स को रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए काफी अवसर देते हैं।
6 एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
एविएशन एंड स्पेस एक्सप्लोरेशन: यूएसए, फ्रांस और यूके में एयरोस्पेस इंडस्ट्री की भरमार है। ऐसे में यहां एयरोस्पेस इंजीनियर की डिमांड भी ज्यादा रहती है।
डिफेंस एंड टेक्नोलॉजी: डिफेंस टेक्नोलॉजी या अनमैन्ड एरियल सिस्टम में स्पेशलाइजेशन करने से एमएमसी और सरकारी एजेंसी में नौकरी मिल सकती है।
भविष्य में बढ़ेगी डिमांड: स्पेस एक्सप्लोरेशन, ड्रोन टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक एयरक्राफ्ट में होने वाला विस्तार एयरोस्पेस इंजीनियर्स के लिए नौकरी के नए अवसर शुरू कर रहा है।
7 एनवायरमेंटल इंजीनियरिंग
सस्टेनेबल सॉल्यूशन : क्लाइमेट चेंज को लेकर बढ़ रही सजगता से नीदरलैंड, कनाडा और स्कैंडिनेवियन जैसे देशों में पर्यावरण इंजीनियर की काफी डिमांड है।
रिन्यूएबल एनर्जी : रिन्यूएबल एनर्जी सिस्टम या वॉटर रिसोर्स मैनेजमेंट में स्पेशलाइजेशन करके कई देशों में नौकरी मिल सकती है।
ग्लोबल पॉलिसी कंप्लायंस : इंटरनेशनल एनवायरमेंटल रेगुलेशन और सस्टेनेबिलिटी से मल्टीनेशनल ऑर्गनाइजेशन में अच्छे पैकेज वाली नौकरी मिल सकती है।