ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। संसदीय पैनल ने केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) के 47 लाख से ज्यादा लाभार्थियों के हितों को प्राथमिकता देते हुए कई सुधारों का रोडमैप लागू करने की सिफारिश की है।
संसद की एक स्थायी समिति ने कहा है कि रेफरल प्रक्रिया को और आसान बनाने की जरूरत है ताकि मरीज व उनके परिवार के सदस्यों को बीमारी के दौरान बार-बार डिस्पेंसरी के चक्क र न लगाने पड़ें। जून 2024 में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रेफरल गाइडलाइंस में संशोधन कर यह व्यवस्था की थी कि 70 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के पेंशनभोगियों और लाभार्थियों को स्पेशलिस्ट को दिखाने के लिए रेफरल की जरूरत नहीं होगी और इस उम्र के लोग बिना रेफरल के डायरेक्ट स्पेशलिस्ट डॉक्टर के पास जा सकेंगे। वहीं, कमेटी ने कहा है कि इन गाइडलाइंस की फिर से समीक्षा करने की जरूरत है, जिसमें 60 वर्ष या इससे ज्यादा उम्र के लोगों को भी बिना रेफरल के स्पेशलिस्ट को दिखाने की मंजूरी दी जाए।
नए सीजीएचएस वेलनेस
सेंटरों की बहुत जरूरत
समिति ने पाया है कि इन सीजीएचएस वेलनेस सेंटरों का वितरण समान नहीं है। देश के 80 शहरों में 341 एलोपैथिक वेलनेस सेंटर, 111 आयुष यूनिट्स और 19 पॉलिक्लीनिक हैं। सीजीएचएस स्कीम में 2486 प्राइवेट अस्पताल एम्पैनल्ड हैं। समिति ने 155वीं रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि अगस्त 2023 तक 340 एलोपैथिक वेलनेस सेंटरों में से 26 प्रतिशत केवल दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में हैं। केवल छह राज्यों (दिल्ली एनसीआर को छोड़कर) में ही 10 से अधिक सीजीएचएस सेंटर हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप में कोई सीजीएचएस वेलनेस सेंटर नहीं है।
समिति ने सिफारिश की है कि ग्रामीण, पहाड़ी इलाकों, रिमोट एरिया, उत्तर पूर्वी एरिया में भी नए सेंटर शुरू किए जाएं। कम से कम 10 सीजीएचएस अस्पतालों को शुरू करने की बात कही गई है। देशभर के प्रमुख शहरों में कम से कम एक एडवांस्ड मल्टी फैसिलिटी सेंटर हो। समिति को बताया गया है कि 22 नए सीजीएचएस वेलनेस सेंटर शुरू करने के प्रस्ताव को स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है और अभी यह प्रस्ताव वित्त विभाग के पास विचाराधीन है।
आयुष सेंटरों के विस्तार की स्पीड धीमी
समिति ने भारतीय चिकित्सा पद्धति (इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन) को सीजीएचएस वेलनेस सेंटर नेटवर्क के साथ इंटीग्रेट करने की सरकार की पहल को भी देखा है। समिति ने कहा था कि आयुष सेंटरों की संख्या मार्च 2014 में 85 से बढ़कर अगस्त 2023 में 107 हो गई, जो नौ वर्षों में केवल 25 प्रतिशत की ही बढ़ोतरी है। फरवरी 2025 तक आयुष सेटरों की संख्या थोड़ी बढ़कर 111 हो गई है। समिति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आयुष सेंटरों के विस्तार की यह स्पीड बहुत धीमी है।
दवाओं की क्वॉलिटी गुणवत्ता पर ध्यान
कई बार मेडिकल स्टोर ऑर्गनाइजेशन (एमएसओ) और जन औषधि परियोजना (जेएपी) के माध्यम से खरीदी गई दवाओं की प्रभावशीलता के बारे में सवाल उठते हैं। पैनल ने पाया कि डिस्पेंसरी के फार्मेसी काउंटर पर वितरित दवाओं की क्वॉलिटी के बारे में कई शिकायतें हैं।
सीजीएचएस सेंटरों में स्टाफ की भारी कमी
सीजीएचएस सेटरों की कमी तो मुद्दा है ही, साथ ही खाली पद भी एक समस्या है। अभी सीजीएचएस एलोपैथी डिस्पेंसरियों में 7022 पद हैं जिसमें से 28 प्रतिशत यानी 2023 पद खाली हैं। इसी तरह से आयुष डिस्पेंसरियों में 425 में से 26 प्रतिशत यानी ।।। पद खाली हैं। विभाग को यह सुनिश्चित करना होगा कि डॉक्टरों की कमी न हो और मरीजों को कोई दिक्कत न हो। समिति ने सिफारिश की है कि जिस तरह से कई प्राइवेट और पब्लिक अस्पतालों में इलेक्ट्रॉनिक टोकन सिस्टम लागू है, उसी तरह से सीजीएचएस सेटरों पर भी होना चाहिए। यह डिस्पले होना चाहिए कि क्या टोकन नंबर चल रहा है और मरीज का नाम भी हो।