ब्लिट्ज ब्यूरो
रायपुर। छत्तीसगढ़ के गले की फांस बन चुका नक्सलवाद अब अपने अंत की ओर है। केंद्र सरकार 2026 के मार्च अंत तक नक्सलवाद के खात्मे का टार्गेट लेकर चल रही है। बड़ी संख्या में नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है या उन्हें मार गिराया गया है। छत्तीसगढ़ का बीजापुर भी एक वक्त पर नक्सलवाद से जूझ रहा था। नक्सलियों के आतंक के चलते यहां के स्कूल तक बंद हो गए थे। अब केंद्र और राज्य सरकार की पहल के बाद यहां बीते 4-5 सालों से स्कूली शिक्षा बेहतर हुई है और बड़ी संख्या में स्कूल फिर शुरू हुए हैं।
बीजापुर जिले की चौथी कक्षा के एक छात्र ने कहा,’पहले यहां स्कूल नहीं था। जब स्कूल नहीं होता था तो हम काम करते थे। यहां आकर अच्छा लगता है। मैं बड़ा होकर शिक्षक बनना चाहता हूं।’ बीजापुर जिले के एक शिक्षक महेंद्र कुमार ने कहा कि स्कूल को शुरू हुए 4 साल हो गए हैं। 2005-2006 में, यहां के स्कूल और आश्रम नक्सलियों द्वारा नष्ट कर दिए गए थे। मेरे स्कूल में 67 बच्चे हैं। इन बच्चों को पहले कोई शिक्षा नहीं मिल रही थी।
बीजापुर के कलेक्टर संबित मिश्रा ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में हमारे जिले में 250 से अधिक वो स्कूल फिर से खोले गए हैं, जो पहले चल रहे थे। हम बुनियादी ढांचे को बेहतर बना रहे हैं। पहले स्कूल झोपड़ियों में हुआ करते थे, लेकिन अब अधिकांश स्कूलों के लिए स्थायी भवन स्वीकृत किए गए हैं। जैसे-जैसे गांवों के अंदर स्कूल खुल रहे हैं, हम कुछ अन्य बच्चों को भी उनके गांवों के स्कूलों में पढ़ने के लिए लाने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे-जैसे सुरक्षा शिविर खुल रहे हैं, क्षेत्र की पहुंच बढ़ रही है और कई तरह से शिक्षा तक पहुंच भी बढ़ रही है। हम हर घर में स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का सर्वेक्षण कर रहे हैं। पहचान के बाद, हम पता लगाएंगे और अधिक से अधिक बच्चों को वापस स्कूल लाने की कोशिश करेंगे।
एपीसी मोहम्मद जाकिर खान ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार और जिला प्रशासन लगातार यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे तक पहुंचे। इन प्रयासों के तहत, 50 स्कूल फिर से खोले गए हैं और लगभग 8,000 बच्चे शिक्षा से फिर से जुड़ गए हैं। जिला प्रशासन छात्रों को किताबें और मध्याह्न भोजन जैसी सुविधाएं प्रदान कर रहा है। ग्रामीणों ने भी स्कूल खोलने में सहयोग करना शुरू कर दिया है। नक्सली हिंसा के दौरान कई स्कूल तोड़ दिए गए थे लेकिन इन्हें तभी फिर से बनाया जा सका जब ग्रामीणों ने मदद की।