ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने आदिवासी समुदाय के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान योजना को मंजूरी दी है। इस योजना पर 79156 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। योजना का मकसद आदिवासियों का सामाजिक-आर्थिक उत्थान करना है और इस मद में केंद्र 56333 करोड़ रुपये और राज्य सरकारें 22823 करोड़ रुपये खर्च करेंगी।
आदिवासी बहुल इलाकों और आकांक्षी जिलों में प्राथमिकता के आधार पर इस योजना को लागू किया जायेगा। इसके तहत देश के 63 हजार गांवों के 5 करोड़ आदिवासी लोगों को फायदा होने की उम्मीद है। यह योजना देश के 549 जिलों और 2740 ब्लॉक में लागू की जाएगी। योजना में केंद्र सरकार के 17 मंत्रालय 25 तरह के काम समयबद्ध तरीके से पूरा करने का काम करेंगे। इस अभियान के तहत कवर किए गए आदिवासी गांवों की पीएम गति शक्ति पोर्टल के तहत मैपिंग होगी और कमियों को दूर करने के लिए तय विभाग जरूरी कदम उठायेंगे। साथ ही गांवों की वित्तीय और भौतिक उन्नति की भी समीक्षा होगी। बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिलों को सम्मानित किया जायेगा।
आदिवासी गांवों में पर्यटन को दिया जाएगा बढ़ावा
योजना के तहत ट्राइबल होम स्टे-स्वदेश दर्शन को लागू किया जाएगा और यह काम पर्यटन मंत्रालय करेगा। स्वदेश दर्शन के तहत एक हजार होम स्टे को मंत्रालय बढ़ावा देगा ताकि आदिवासी समुदाय को वैकल्पिक आजीविका का साधन मुहैया कराया जा सके। पर्यटन की संभावना वाले गांवों में 5-10 होम स्टे सुविधा का विकास करने में पर्यटन मंत्रालय मदद करेगा। ऐसे हर आवास के निर्माण के लिए सरकार पांच लाख रुपये की आर्थिक मदद देगी और घरों के पुनर्निर्माण के लिए तीन लाख रुपये दिए जाएंगे। जनगणना 2011 के आंकड़ों के अनुसार देश में आदिवासी समुदाय की आबादी 10.45 करोड़ है और देश में 705 आदिवासी समुदाय हैं। प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम योजना के तहत आदिवासी बहुल गांवों में सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका को बेहतर बनाने का काम किया जायेगा।