ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली। कश्मीर को भारत से अलग करने का नापाक मंसूबा पालने वाला पाकिस्तान अब दुनिया में बिल्कुल अकेला पड़ गया है। पाकिस्तान कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आधार पर हल करने की बात करता रहा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में किसी भी देश ने कश्मीर का जिक्र तक नहीं किया। अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत हुसैन हक्क ानी ने इस मुद्दे पर कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले एकमात्र व्यक्ति होंगे। पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका उसके दोस्त तुर्की ने दिया है।
एर्दोगन ने नहीं किया कश्मीर का जिक्र
पिछले कई सालों से कश्मीर मुद्दा उठा रहे तुर्की के प्रधानमंत्री रेचेप तैयप एर्दोगन ने इस बार संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन के दौरान इसका जिक्र नहीं किया। इस कदम से पाकिस्तान हक्क ा-बक्क ा है। पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्क ानी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘कई सालों से पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर कश्मीर विवाद को हल करने की बात करता रहा है। अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को छोड़कर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्यों में से किसी भी वक्ता ने कश्मीर का जिक्र नहीं किया, पाकिस्तान की भावना कितनी वास्तविक है?’
ऐतिहासिक रूप से, एर्दोगन संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर पर पाकिस्तान के मुखर समर्थक रहे हैं। अपने 2020 के भाषण में उन्होंने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत सरकार के फैसले की आलोचना की थी और दावा किया कि इससे स्थिति और खराब हो गई है। भारत ने इसका विरोध किया था और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया था। हालांकि, एर्दोगन के इस बार कश्मीर मुद्दा नहीं उठाने ने नई दिल्ली के लिए सुखद स्थिति पैदा की है।
एर्दोगन से मिले शहबाज शरीफ
कश्मीर पर तुर्की के ताजा कदम के बीच न्यूयॉर्क में महासभा के 79वें सत्र के दौरान शहबाज शरीफ और रेचेप तैयप एर्दोगन ने मुलाकात की है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अनुसार दोनों नेताओं ने ‘गाजा में तत्काल युद्ध विराम’ और संघर्ष समाप्त करने का आह्वान किया। उन्होंने गाजा में चल रहे नरसंहार और गंभीर मानवीय स्थिति पर चर्चा की। एर्दोगन ने भले ही संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का जिक्र नहीं किया, लेकिन पाकिस्तान ने अपने बयान में एर्दोगन की तारीफ की। इसमें कहा गया है कि ‘प्रधानमंत्री ने कश्मीर के उत्पीड़ित लोगों के लिए तुर्की के दृढ़ और निरंतर समर्थन की सराहना की।’