ब्लिट्ज ब्यूरो
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने मैनुअल स्कैवेजिंग (हाथों से मैला ढोने), साफ करने और मैनुअल सीवर सफाई से होने वाली मौत पर दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को आड़े हाथ लिया। अदालत ने आला अफसरों को यह भी बताने को कहा कि जब दावा किया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई बंद हो गई है तो फिर इससे लोगों की मौत कैसे हो रही है।
जस्टिस सुधांशु धूलिया और अरविंद कुमार की पीठ ने दिल्ली जलबोर्ड, कोलकाता नगर निगम और हैदराबाद महानगर जल एवं सीवरेज बोर्ड के अधिकारियों द्वारा दाखिल हलफनामों पर असंतोष जताते हुए यह टिप्पणी की। पीठ ने अधिकारियों को यह बताने को कहा कि मैनुअल स्कैवेंजिंग और मैनुअल सीवर सफाई कब और कैसे बंद होगी क्योंकि उन्होंने अपने हलफनामे में यह नहीं बताया। सुप्रीम कोर्ट ने सक्षम अधिकारियों से यह भी बताने को कहा कि क्यों न उन अधिकारियों या ठेकेदारों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने का आदेश दिया जाए, जिन्होंने हाथ से मैला उठाने वालों को काम पर रखा या जिनकी निगरानी और आदेश पर मैनुअल कार्य करने के कारण मौतें हुई। इसके साथ ही, पीठ ने दिल्ली, कोलकाता और हैदराबाद के अलावा, बेंगलुरु (जिसने हलफनामा दाखिल नहीं किया) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अगली सुनवाई पर 20 मार्च को निजी रूप से पेश होने का निर्देश दिया है।
दिल्ली के अधिकारी बताएं, कैसे हुई सात मौतें
दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी ने अपने हलफनामे में वास्तविक सवाल टालने का प्रयास किया। दिल्ली ने हलफनामे में केवल इतना कहा कि हाथ से मैला उठाने और सीवर की सफाई पूरी तरह प्रतिबंधित है। लेकिन इसमें यह नहीं बताया गया कि पिछले एक साल में सीवर सफाई के दौरान दिल्ली में सात मौतें कैसे हुई। पीठ ने डीजेबी निदेशक (एस एंड डीएम) पंकज कुमार अन्त्रे को अगली सुनवाई में उपस्थित होकर सफाई देना होगा। पीठ ने कोलकाता और हैदराबाद के हलफनामे पर भी असंतोष जताया।
मुंबई, चेन्नई का हलफनामा संतोषजनक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुंबई और चेन्नई की ओर से दाखिल हलफनामा संतोषजनक है। हालांकि पीठ ने इन दोनों महानगरों को विस्तृत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है, मैला उठाने और सीवर साफ करने के लिए उन्होंने कौन सी मशीनों और उपकरणों का इस्तेमाल किया है। साथ ही, यह भी बताने को दोनों शहरों के संबंधित अधिकारियों को यह भी बताना होगा कि मैनुअल बंद किया गया।
शीर्ष कोर्ट ने दिया था यह आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को दिल्ली सहित छह महानगरों में मैनुअल स्कैवेजिंग और मैनुअल सीवर सफाई पर प्रतिबंधित लगा दिया था। शीर्ष अदालत ने इस मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर विचार करते हुए यह आदेश दिया था।